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Saturday, 7 January 2006

उखरी म॑ मूड़ी देलाँ चोटें डरें कत्त॑ डरबऽ | अंगिका कहावत

  उखरी म॑ मूड़ी देलाँ चोटें डरें कत्त॑ डरबऽ


अर्थ -  जब जान-बूझ कर कष्ट मोल लिया है, तब डरना क्या ?

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