चढ़तें बरखै आदरा उतरत बरखै हस्त
चढ़तें बरखै आदरा उतरत बरखै हस्त
जितना राजा डाँड़ ल॑ टूट॑ नै गृहस्त
अर्थ - यदि आद्रा नक्षत्र के आरंभ में और हथिया नक्षत्र के अंत में बर्षा हो जाय, तो उस बर्ष पैदावार अच्छी होती है । ऐसी हालत में राजा चाहे जितना भी दण्ड ले किसान तबाह नहीं होता ।
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