Search Angika Kahavat Kosh

Friday, 9 July 2004

चढ़तें बरखै आदरा उतरत बरखै हस्त | अंगिका कहावत

  चढ़तें बरखै आदरा उतरत बरखै हस्त


चढ़तें बरखै आदरा उतरत बरखै हस्त
जितना राजा डाँड़ ल॑ टूट॑ नै गृहस्त

अर्थ - यदि आद्रा नक्षत्र के आरंभ में और हथिया नक्षत्र के अंत में बर्षा हो जाय, तो उस बर्ष पैदावार अच्छी होती है  । ऐसी हालत में राजा चाहे जितना भी दण्ड ले किसान तबाह नहीं होता ।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.

Search Angika Kahavat

Carousel Display

अंगिकाकहावत

वेब प अंगिका कहावत के वृहत संग्रह

A Collection of Angika Language Proverbs on the web




संपर्क सूत्र

Name

Email *

Message *